अनोखी दोस्ती
अनोखी दोस्ती भाग 13
अभी तक आपने पढ़ा, कोयल की फ्रेंड पीहू अपने मम्मी पापा के घर लंदन से वापस आती है। और वह कोयल से मिलकर बहुत खुश है उधर कोयल की नौकरी लग जाती है अब वह अपने बच्चे के साथ समय बिताती है और उसे किसी और के बारे में सोचने का वक्त ही नहीं मिल पाता। अब आगे
एक दिन सुबह कोयल सोचती है कैसे हैं यह लोग मेरी तो कोई खैर खबर ही नहीं ली मैं जिंदा हूं, या मर गई।पर विनय ने तो अपने बेबी के बारे में एक भी बार नहीं सोचा।
अब तो सिया और विनय उन लोगों की भी शादी हो गई होगी और उनका खुद का बेबी हो गया होगा।
मम्मा मम्मा राधव आवाज देता है हांँ बोलो बेटा" मम्मा आप अपने ऑफिस के काम में रोज व्यस्त रहती हैं।
आज तो संडे है तो आज आप मेरे को घुमाने लेकर चलेंगे आज आपको मेरे साथ चलना ही होगा"।
कोयल राघव से "बेटा बताओ तो सही आप मुझे कहांँ घुमाने लेकर जाएंगे"।
मम्मा छोड़िए ना! सरप्राइज है "जब आप चलेंगे तो आपको खुद पता लग जाएगा"।
थोड़ी देर में तैयार होकर कोयल और राघव घूमने के लिए जाते हैं ।
कोयल पीहू से बोलती हैं "तुम भी हमारे साथ घूमने चल लो
थोड़ी देर में घूम कर आ जाएंगे"।
कोयल से नहीं नहीं तुम लोग जाओ वैसे भी "आज पराग आने वाले हैं और मेरी एक करीबी दोस्त भी आ रही है। मुझे यहांँ रहकर तैयारी करनी है"।
चलो ठीक है "मैं थोड़ी देर राघव के साथ घूम कर आती हूँ, और फिर हम दोनों मिलकर पराग और तुम्हारी दोस्त के लिए खाना बनाएंगे।
कोयल तुम जाओ जब आ जाओगी" तो हम दोनों मिलकर काम कर लेंगे"।
दोनों चलते चलते एक बिल्डिंग के सामने रुक जाते हैं।
कोयल बोलती है राघव!" मुझे तो यह वृद्ध आश्रम की बिल्डिंग लग रही है तुम यहांँ क्यों रुक गये"।
"मम्मी मैं तो यहांँ नाना जी के साथ यहां रोज आता हूंँ।" चलो चलो मम्मी अंदर चलते हैं।
कोयल के लिए यह जगह एकदम अलग थी ।
कोयल धीरे धीरे चलते हुए सबको देख रही थी थोड़ी देर बाद राघव मम्मा देखो! नाना जी भी आए हैं।
सेठ रायचंद अरे बेटा तुम !"चलो बेटा मैं तुम्हें सब से मिल वाता हूं"।
सेठ रायचंद भी अपने किसी काम में व्यस्त हो गए।
और राघव भी खेलने में मस्त हो गया।
इतने में किसी असहाय वृद्ध औरत की नजर राघव पर पड़ी। उसका मन राघव को अपने पास बुलाने के लिए बार-बार करने लगा उसमें तो उसे विनय की झलक दिख रही थी।
वह उसको बिल्कुल हूबहू विनय जैसा लग रहा था।
वह राघव को अपने पास बुलाना चाहती थी। वह मन में सोचती है यह बच्चा रोज यहांँ आता है और वह हूबहू मेरे विनय जैसा लगता है मेरा मन करता है उसे पास बुला कर ढेर सारा प्यार करें और अपने सीने से लगा लूं।
यह बूढी औरत कोई और नहीं विनय की मांँ है उसने हिम्मत करके राघव को अपने पास बुलाया और उससे बातें करने लगी।
वह राघव से पूछती है बेटा तुम अकेले आई हो नहीं मैं तो अपनी मम्मा के साथ आया हूंँ।
वह देखो मेरी मम्मा आ रही है दूर से ही सही पर विनय की माँ ने कोयल को पहचानने में 1 मिनट की भी देरी नहीं की।
कोयल
कोयल आप यहांँ पर इस हालत में?
रेखा......
" मैंने तुम्हें घर से निकाल कर बहुत बड़ी गलती कर दी और शायद आज मैं उस गलती की सजा भुगत रही हूंँ"।
"वैसे हांँ क्या बुलाया आपने' ?
"कोयल!
ओहो!
आप तो वही कहिए ना काली कलूटी ,बदसूरत ,करम जली, कलमुही।
रेखा दुखी होकर रोते हुए
"बेटी मुझे माफ कर दो माफ कर दो मुझे बेटी!"
इतने सेठ रायचंद
"आप लोग माफी के काबिल नहीं है आपमें तो इंसानियत नहीं है आप तो इंसान को इंसान ही नहीं समझते।
मैंने तो पता होते हुए भी आपको यहांँ रहने दिया नहीं तो आप दर-दर की ठोकरे खा रहे होते।
चलो कोयल चलो!
" इन पर दया दिखाने की जगह भी जरूरत नहीं है यह लोग हैं ही ऐसे इन्हें अपने किए का फल अवश्य ही मिलना चाहिए।"
कोयल इससे पहले कुछ पूछती सेठ जी उसको अपने साथ घर ले आते हैं।
रास्ते में कोयल पूछती है अंकल जी आपको पता था तो आपने यह सब मुझे क्यों नहीं बताया इन लोगों की इतनी हालत खराब हो गई है।
सेठ रायचंद बेटा "सब अपनी अपनी करनी का फल भोगते हैं। इन्होंने तुम्हारे साथ कौन सा कुछ अच्छा किया था
और मैं बताता तो क्या बताता"।
वह मन में सोचती रहती है वक्त की चाल देखो कितनी अलग है
वक्त की है चाल निराली
सब कुछ यहां बदलता है।
दुख सुख संग कहां चले
एक जाए तो दूजा आए।
जीवन में यादें रह जाती
तारीख पर तारीख बदलती जाती
तारीख तो हर वर्ष आती
समय लौटकर कहां आता
गए जो साथ छोड़ कर
वापस कहां आते हैं
यादों के समंदर में जीवन
जैसे बस उलझा जाता है।
ऊपर से सब सही है दिखता
पर भीतर बदलता जाता है।
रिक्तता मन में आ जाती
कैसा जीवन हो जाता है
वक्त के साथ देखो
कितना कुछ बदला जाता है
आदतें प्रतिदिन है बदले
व्यवहार बदलता जाता है
वक्त घाव देता है
मल्हम ही बन जाता है
वक्त की चाल निराली देखो
वक्त सब कुछ कर जाता है।
इसी उधेड़बुन में सोचते सोचते घर आ जाता है और वह घर आकर पीहू के साथ तैयारी करने में लग जाती है।
आगे जानने के लिए पढ़िए कि वह मेहमान कौन था।
आप अपनी सुंदर-सुंदर समीक्षाओं से मेरा हौंसला बढ़ाते रहिए।
धन्यवाद आपका
वानी
16-Jun-2023 07:54 PM
Nice
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सीताराम साहू 'निर्मल'
15-Jun-2023 05:54 PM
👏👌
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